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फ्रांस की क्रांति

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        ( राजनीतिक कारण)  (1) बूर्वो शासकों का निरंकुश शासन- फ्रांस के बूर्वो वंशीय राजा पूर्ण निरंकुश राजतंत्र में विश्वास करते थे। वे राजा की दैवीय अधिकारों के समर्थक थे और स्वयं को एकमात्र ईश्वर के प्रति उत्तरदाई मानते थे| (2) दोषपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था- फ्रांस की प्रशासनिक व्यवस्था बड़ी दोषपूर्ण थी। प्रशासन का ढांचा अव्यवस्थित तथा अक्षमता था स्थानीय प्रशासन के लिए फ्रांस को प्रांतों में बांटा गया था प्रांतों में संसद तथा गवर्नर थे परंतु शासन के वास्तविक कार्य इनकी हाथों में नहीं थे। प्रांतों को जिलों में विभक्त किया गया था जिलों के अधीक्षक इंण्टेंण्डेण्ड कहलाते थे इनकी नियुक्ति राजा के द्वारा की जाती थी और यह उसी के प्रति उत्तरदाई थे इंण्टेंण्डेण्ड की शक्ति असीमित थी प्रजा में यह अधिक लोकप्रिय नहीं थे|     (सामाजिक कार्य)  (1)चर्च तथा पादरी वर्ग- फ्रांसीसी समाज में पादरियों का स्थान बड़ा ही महत्वपूर्ण था| यह फ्रांस का प्रथम वर्ग था चर्च फ्रांस की बड़ी महत्वपूर्ण संस्था थी |राजा के पश्चात समाज में इन्हीं का स्थान आता था चर्च के पास अतुल धन संपत्ति थी| (2) सामंत या कुलीन वर्ग- फ्रां

कबीर के दोहे

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(1)-पाहन पूजे हरि मिले ,तो मैं पूजू पहाड़ |       ताते यह चाकी भली पीस खाए संसार ||              X X X X X X X X X X X X X X  (२) - नहाए धोए क्या भैया जो मन का मेल न जाए|           मीन सदा जल में रहे ,धोये वास न जाए ||        X X X X X X X X X X X X X X X (3) - कांकर पाथर जोरि के मस्जिद लई चुनाय ||         वा  चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरा भया खुदाय ||           X X X X X X X X X X X X XX X (4) झूठा जब -तप झूठा ज्ञान |       राम नाम बिन झूठा ध्यान ||          X X X X X X X X X X X X X X X (5) - अरे इन दोउन राह न पाई|       हिंदू अपनी करै बडाई, गागर छूवन न देई ||      मुसलमान की पीर औलिया, मुर्गी मुर्गा खाई|  X X X X X X X X X X X X X X X X  (6) - दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय |        मुई खाल की सांस  सो, सार भसम हुवै जाय||    X X X X X X X X X X XX X X X X X X  (7) - वैरागी बीरकट भला, गिरही चित्त उदार |          दुहुं चूंका रीता पडै, ताकूं बार न  पार  ||    X X X X X X X X X X X  XX X X X X (8) - पोथी पढ़ -पढ़ जग मुआ ,पंडित भया न कोय|         ढाई अक्षर प्रेम का ,पढ़े सो पंडित होय|